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प्रेरणास्पद कहानी

                प्रेरणास्पद कथाएं...✍🏻                 भगवान का मंगल विधान..    पु रानी बात है - कलकत्ते में सर कैलाशचन्द्र वसु प्रसिद्ध डॉक्टर हो गये हैं। उनकी माता बीमार थीं। एक दिन श्रीवसु महोदय ने देखा— माता की बीमारी बढ़ गयी हैं, कब प्राण चले जाय, कुछ पता नहीं। रात्रि का समय था।           कै लाश बाबू ने बड़ी नम्रता के साथ माताजी से पूछा- "माँ, तुम्हारे मन में किसी चीज की इच्छा हो तो बताओ, मैं उसे पूरी कर दूँ।" माता कुछ देर चुप रहकर बोलीं- 'बेटा! उस दिन मैंने मुंबई के अंजीर खाये थे। मेरी इच्छा है अंजीर मिल जायँ तो मैं खा लूँ।' उन दिनों कलकत्ते के बाजार में हरे अंजीर नहीं मिलते थे। मुंबई से मँगाने में समय अपेक्षित था। हवाई जहाज थे नहीं। रेल के मार्ग से भी आजकल की अपेक्षा अधिक समय लगता था। कैलाश बाबू बड़े दुखी हो गये - माँ ने अन्तिम समय में एक चीज माँगी और मैं माँ की उस माँग को पूरी नहीं कर सकता, इससे बढ़कर मेरे लिये दु:ख की बात और क्या होगी ? पर कुछ भी उपाय नहीं सूझा। रुपयों से मिलने वाली चीज होती तो कोई बात नहीं थी।       ऐसी ही और प्रेरणास्पद कथाएँ पढ़ने जुड़े रह